मोहब्बत करने का लोग कायदा पूछते हैं
दिल देने का मुझ से फायदा पूछते हैं
हमें होश नहीं उन्हें देखने के बाद
कब हुयी इश्क की इब्तेदा पूछते हैं
हरसूं उनके दिल में हमारा बसेरा
और वो मुझ से मेरा पता पूछते हैं
मेने इश्क में खुद को लुटा दिया
खैरियत अब मुझ से बेवफा पूछते हैं
उनसे मोहब्बत की भीख में उम्र कट गयी
कब्र पे आकर अब वो एक इल्तिजा पूछते हैं
मेरी ज़िन्दगी खुद एक ग़ज़ल बन गयी
मेरे महबूब मुझ से मतला' पूछते हैं
मेने भी आज उन्हें मुड़ के नहीं देखा
'अमीक' क्यों तुम हो खफा पूछते हैं