मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

ज़िन्दगी

मुझे ज़िन्दगी का मकसद समझा दो 
मुझे प्यार का मफहूम बतला दो

मैं परीशां  हो दर दर का भिखारी
 खुदा के वास्ते खुदा का दर दिखला दो

इक दिल की आरज़ू में ये दिल है बेकल
दिल दे के कोई मेरा दिल बहला दो

परवाज़ करे परिंदा नशेमन की आस में
तवील जहाँ में इसको कोई तो पनाह दो

मेरी मौत पे तो वो आयेंगे वो यकीनन
बहारे महबूब के लिए दयारे अमीक सजा दो